Chandipura Virus: भारत के वैज्ञानिकों ने चांदीपुरा वायरस की दवा की खोज कर ली है जिसके जरिए मरीज की जान का जोखिम कम किया जा सकता है।
Chandipura Virus Treatment: चांदीपुरा वायरस एक रैब्डोवायरस है, जिसकी खोज सबसे पहले 1965 में महाराष्ट्र के नागपुर जिले के चांदीपुरा गांव में हुई थी। इसलिए इसका नाम चांदीपुरा रखा गया। यह वायरस बालू मक्खी के काटने से फैलता है और बच्चों में तेजी से मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले एन्सेफलाइटिस का कारण बनता है जिसे सामान्य भाषा में दिमागी बुखार कहते हैं। पांच से 15 साल तक के बच्चों को यह सबसे ज्यादा निशाना बनाता है। बुखार, उल्टी, बेहोशी जैसे लक्षण मिलने के साथ ही 24 से 48 घंटों के भीतर मरीजों की मौत हो जाती है।
चांदीपुरा वायरस के चलते भारत के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में अब तक सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई। करीब 60 साल पुरानी इस जानलेवा बीमारी का अब इलाज मिल गया है। भारत के वैज्ञानिकों ने चांदीपुरा वायरस की दवा की खोज कर ली है जिसके जरिए मरीज की जान का जोखिम कम किया जा सकता है।
पहली बार प्रभावी दवा की पुष्टि
नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस वर्षों से भारत में एक ‘खामोश हत्यारा’ बना हुआ है। इसके खिलाफ संभावित एंटीवायरल उपचार की तलाश पूरी हुई। आईसीएमआर के पुणे स्थित राष्ट्रीय वायरोलॉजी संस्थान (एनआईवी) ने अपने सेल और एनिमल मॉडल प्रयोगों में फेविपिराविर नामक दवा को इस घातक वायरस को रोकने में सक्षम पाया है। यह पहली बार है जब इस जानलेवा वायरस के लिए किसी दवा के प्रभावी होने की पुष्टि वैज्ञानिक रूप से भारत में की गई है।
चांदीपुरा वायरस से संक्रमित रोगियों में देखे जाने वाले कुछ सबसे आम लक्षण इस प्रकार हैं-
सिरदर्द: मरीज़ अक्सर गंभीर सिरदर्द की शिकायत करते हैं।
बुखार: अचानक तेज बुखार आना।
बार-बार उल्टी आना
कोमा: कभी-कभी, वायरस के कारण कोमा और दुर्लभ मामलों में मृत्यु भी हो सकती है।
चांदीपुरा वायरस की रोकथाम-
- निवारक उपायों का मुख्य उद्देश्य सैंडफ्लाई की जनसंख्या को नियंत्रित करना तथा इसके प्रभाव को न्यूनतम करना है।
- सैंडफ्लाई के काटने से बचें: मच्छरों के काटने से बचने के लिए पूरे कपड़े पहनें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
- सैंडफ्लाई के काटने के जोखिम को कम करने के लिए कीट विकर्षक का उपयोग करें।
- अपने आस-पास की जगह को साफ रखें। सुनिश्चित करें कि आपके इलाके में सैंडफ्लाई के प्रजनन के लिए कोई संभावित जगह न हो।
इन 10 राज्यों में वायरस सबसे ज्यादा
महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के सीमावर्ती क्षेत्र, ओडिशा, बिहार और झारखंड के अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र को एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बेल्ट कहा जाता है जहां हर साल बच्चों में दिमागी बुखार के मामले मिलते हैं।