पूछा- पेपर कॉपी, पेपर लीक व सवालों की गड़बड़ की जांच से क्यों भाग रही बीजेपी सरकार?
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि हरियाणा पब्लिक सर्विस कमिशन की असिस्टेंट प्रोफेसर वाली भर्तियों के अभ्यर्थियों से लगातार उन्हें शिकायतें मिल रही हैं। उदाहरण के तौर पर 4 मई को हुए जूलॉजी के स्क्रीनिंग टेस्ट एक नहीं कई-कई गड़बड़ियां पाई गईं है। फाइनल आंसर की जारी होने के बाद स्पष्ट हो गया है कि सरकार अपनी गलती सुधारने को तैयार नहीं है। क्योंकि ये गलती नहीं बल्कि जानबूझकर किया गया घोटाला है।
जूलॉजी के अभ्यार्थियों ने बताया है कि फाइनल आंसर की में भी कम से कम 15 सवालों में गड़बड़ियाँ हैं। कहीं सवालों के गलत उत्तर दिए गए हैं। कहीं एक से अधिक उत्तरों को सही बताया गया तो कहीं सवाल ही स्पष्ट नहीं हैं। अभ्यार्थियों द्वारा अनगिनत ऑब्जेक्शन भेजे जाने के बावजूज आयोग ने सिर्फ एक ही प्रश्न का उत्तर सही किया। बाकी सभी के या तो गड़बड़ियों को ज्यों का त्यों बनाए रखा गया या फिर बिना कारण बताए सवाल को ही डिलीट कर दिया गया।
हुड्डा ने कहा कि अभ्यार्थी स्पष्ट तौर पर आयोग से विवादित सवालों की वैज्ञानिक प्रमाणों व तर्कों के आधार पर दोबारा जांच की मांग कर रहे हैं। इसके लिए जूलॉजी व अन्य तमाम विषयों के विशेषज्ञों की एक-एक स्वतंत्र कमेटी बनाई जाए, जो विवादित सवालों की समीक्षा करे। साथ ही पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से मैरिट के आधार पर अमल में लाया जाए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अभ्यार्थियों की तमाम मांगे व्यवहारिक और न्यायसंगत हैं। लेकिन फिर भी आयोग व सरकार इससे भाग रही है। यानी खुद सरकार की मंशा ही सवालों के घेरे में है। क्योंकि जूलॉजी ही नहीं बल्कि हाल ही में हुई अर्थशास्त्र,हिस्ट्री, केमिस्ट्री और फिजिक्स जैसी तमाम भर्तियों के पेपरों में भी गंभीर गड़बड़ड़ियां सामने आई थी। सबसे बड़ी गड़बड़ी तो इन परीक्षाओं में यह हुई कि कई जगह सील टूटे हुए पेपर अभ्यर्थियों को बांटे गए। पेपर की सील टूटने से पेपर लीक की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में जरूरी था कि सरकार अभ्यर्थियों की मांग को मानते हुए उच्च स्तरीय जांच करवाती है लेकिन सरकार इससे भागती नजर आई। इसे स्पष्ट है कि सरकार खुद तमाम धांधली और घोटालों की जनक है।