Himachal Pradesh: कुल्लू जिले के निरमंड के बागीपुल की रहने वाली 28 साल की ईशानी ने सातवीं बार नंगे पांव यह यात्रा की है। हर साल ईशानी पैदल इस यात्रा को कर रही है।
Shrikhand Yatra: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू की ईशानी ठाकुर ने नंगे पांव पैदल चलकर 70 किलोमीटर (दोनों साइड) की श्रीखंड यात्रा की है। कुल्लू जिले के निरमंड के बागीपुल की रहने वाली 28 साल की ईशानी ने सातवीं बार नंगे पांव यह यात्रा की है। साल 2017 में पहली बार नंगे पांव श्रीखंड गई। कोरोना काल में 2020 और 2021 में दो साल यात्रा नहीं की। बाकी हर साल ईशानी पैदल इस यात्रा को कर रही है।
श्रीखंड यात्रा को ईशानी ने माइनस 5 से 15 डिग्री टैम्परेचर के बीच, बहते पानी, चट्टानों और ग्लेशियर से होकर गुजरने वाले रास्ते को ईशानी ने बिना थके-हारे पूरा किया। अपनी इस यात्रा के बारे में ईशानी कहती हैं कि भगवान भोलेनाथ की कृपा से उन्हें न ठंड का एहसास हुआ और न कोई यात्रा करने में परेशानी हुई। इतना चलने के बावजूद पांव में छाला तक नहीं आया।
8 जून को यात्रा शुरू की, 11 को दर्शन किए
ईशानी ने बताया, उन्होंने 8 जून को अपने इंदौर के दोस्तों और अपने कजन ब्रदर के साथ यात्रा शुरू की। 11 जून को श्रीखंड में भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए और 13 जून को वापस निरमंड लौट आए। इस यात्रा के दौरान गर्म कपड़े पहनकर जाना पड़ता है। मगर ईशानी ने कैपरी पहनकर यह यात्रा की है।

मानी जाती है दुनिया की कठिन धार्मिक यात्रा
श्रीखंड महादेव यात्रा को देश नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। इस यात्रा को पूरी करने के लिए 3 ग्लेशियरों और खतरनाक पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है। कुल्लू के निरमंड तक श्रद्धालु गाड़ियों से पहुंचते हैं। यहां से पैदल यात्रा शुरू होती है।
निरमंड की समुद्र तल से 4757 फीट ऊंचाई है। 3 से 4 दिन की पैदल यात्रा के बाद श्रद्धालु 18570 फीट की ऊंचाई पर पहुंचते हैं। इससे कई बार यहां ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। कई श्रद्धालुओं इस यात्रा को पूरी करने से पहले ही आधे रास्ते से लौटना पड़ता है।
खतरनाक रास्तों की वजह से कई बार श्रद्धालुओं की गिरने से मौत तक हो जाती है। इन वजह से श्रीखंड महादेव की यात्रा जूते पहनकर भी आसान नहीं मानी जाती। मगर, ईशानी ठाकुर बार- बार नंगे पांव श्रीखंड पहुंच रही हैं।
फिटनेस टेस्ट के बाद यात्रा की अनुमति
आधिकारिक तौर पर यह यात्रा 10 जुलाई से शुरू हो चुकी है। इस यात्रा के लिए देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रीखंड पहुंच रहे हैं। यह यात्रा 23 जुलाई तक चलेगी। इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है। कुल्लू के निरमंड से यात्रा शुरू करने से पहले श्रद्धालुओं को फिटनेस टेस्ट पास करना होता है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए पांच जगह बेस कैंप बनाए गए हैं।
भगवान शिव का वास माना जाता है श्रीखंड
मान्यता है कि श्रीखंड की चोटी पर भगवान शिव का वास है। यहां शिला के रूप में 72 फीट ऊंचा शिवलिंग है। यहां पहुंचकर श्रद्धालु इसकी परिक्रमा और पूजा करते हैं। इससे उन्हें मनवांछित फल मिलता है और उनकी इच्छा पूरी होती है। देशभर से बड़ी संख्या में भगवान भोले के भक्त हर साल श्रीखंड पहुंचते हैं।