पंजाब के 5 शहरों में शुरू होगा स्माइल प्रोजेक्ट, हफ्ते में शुरुआत
साल गुम बच्चे
2018 251
2019 250
2020 122
2021 164
2022 186
केस 1: अमृतसर
बस स्टैंड से 2 बच्चे लड़का (12) और लड़की (8) मंदबुद्धि हालत में मिले हैं। दोनों के परिवारों की जानकारी नहीं मिली है। अब दोनों का डीएनए टेस्ट होगा।
पंजाब में सड़कों और शहरों में भीख मांगने वाले बच्चे बाल तस्करी या मानव व्यापार का शिकार हैं। अब इस बात का पता लगाना आसान होगा, क्योंकि इन बच्चों का अब डीएनए टेस्ट होंगे। वे बच्चे किस परिवार से संबंधित हैं। भीख मांगने के धंधे में कैसे आए। सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग फिलहाल 5 जिलों में भीख मांगते बच्चों की पहचान कर रहा है। शहरों से कई बच्चे मिले हैं। इसके लिए अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, मोहाली और बठिंडा को चुना गया है। ऐसा प्रोजेक्ट स्माइल के तहत होगा। क्योंकि पंजाब में 5 जिलों में प्रोजेक्ट स्माइल के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत इसी सप्ताह की जा रही है। अगले चरण में प्रोजेक्ट स्माइल पूरे पंजाब में लांच होगा, जिसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं।
बच्चों को छोड़ने वाले अभिभावकों और रैकेट का पता लगाएंगी विशेष टीमें
महिला एवं बाल विकास विभाग ने भीख मांगने वाले बच्चों की पहचान के लिए विशेष टीमें तैयार की है। ये टीमें सबसे पहले बच्चों को बचाकर उचित इलाज कराएंगी। बाद में आवास का पता लगाया जाएगा। संभव न हुआ तो डीएनए होगा। यह टेस्ट जिले के डीसी, जिला प्रोग्राम अधिकारी, सिविल सर्जन आदि की देखरेख में होगा। पंजाब सरकार ट्रैफिक लाइटों के पास चौकों में भीख मंगवाने वाले रैकेटों का पता लगाना चाहती है। क्योंकि भीख मांगने वालों में ज्यादातर छोटे बच्चे हैं। खासकर अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, मोहाली और बठिंडा में इनकी संख्या ज्यादा है।
अब प्रोजेक्ट स्माइल के लांच होने से भेद खुल जाएगा। पता लगने पर भीख मंगवाने रैकेट, माता-पिता या अभिभावकों पर कार्रवाई हो सकती है। पंजाब सरकार बैगरी एक्ट (1971) में भी संशोधन करने जा रही है। इसके तहत आरोपियों को सजा और जुर्माने का प्रावधान होगा। नवजात बच्चों (आयु 18 वर्ष से कम) के लापता होने के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। इसका मुख्य कारण क्या रहा, यह कम पता चलता है। आशंका है कि संदिग्ध हालातों में गायब बच्चों को बाद में भीख मांगने में लगाया जाता है।