Gaali Band Ghar Abhiyan: क्या आप जानते हैं कि किस राज्य के लोग बातचीत में सबसे ज्यादा गालियां देते हैं? “गाली बंद घर अभियान” नामक एक सर्वे ने इस सवाल का जवाब खोजा है।
Gaali Band Ghar Abhiyan: हमारे आसपास ऐसे कई लोग होते हैं, जो हर छोटी-बड़ी बात पर गाली देना शुरू कर देते हैं। आज के समय में गाली देना लोगों की आदत का हिस्सा बन चुका है, खासकर मां, बहन और बेटी के नाम की गालियां। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस राज्य के लोग बातचीत में सबसे ज्यादा गालियां देते हैं? “गाली बंद घर अभियान” नामक एक सर्वे ने इस सवाल का जवाब खोजा है।
इसमें शहरी और ग्रामीण भारत से 70,000 लोगों से बातचीत कर डेटा इकट्ठा किया गया—जिसमें शिक्षक, छात्र, डॉक्टर, पुलिसकर्मी, ऑटो चालक और युवाओं को शामिल किया गया। सर्वे की रिपोर्ट में सामने आया कि दिल्ली के लोग सबसे ज्यादा गाली देते हैं। मां, बहन और बेटी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल दिल्ली में सबसे ज्यादा ज्यादा किया जाता है। सर्वे के मुताबिक दिल्ली पहले स्थान पर है, जहां 80% लोगों ने स्वीकार किया कि वे रोज़मर्रा की बातचीत में गालियों का इस्तेमाल करते हैं।
11 साल में 70 हजार लोगों पर सर्वे
सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के फाउंडर और महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस डॉक्टर सुनील जागलान ने गाली बंद घर अभियान चलाया और उसी के तहत एक सर्वे किया। इस सर्वे में 11 साल में करीब 70 हजार लोगों को शामिल किया। इन लोगों में युवा, माता-पिता, टीचर, डॉक्टर, ऑटो ड्राइवर, स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट, पुलिसकर्मी, वकील, बिजनेसमैन, सफाईकर्मी, प्रोफेसर, पंचायत सदस्य शामिल थे।
ये हैं अलग-अलग राज्यों के आंकड़े
वहीं राजस्थान के 68 प्रतिशत लोग, हरियाणा के 62 प्रतिशत लोग, महाराष्ट्र के 58 प्रतिशत लोग, गुजरात के 55 प्रतिशत लोग, मध्य प्रदेश के 48 प्रतिशत लोग, उत्तराखंड के 45 प्रतिशत लोग, कश्मीर के 15 प्रतिशत लोग गाली देते हैं यानी अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं। नॉर्थ ईस्ट और बाकी राज्यों के 20-30 प्रतिशत लोग गाली देते हैं।
महिलाओं में भी मानी गालियों की आदत
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि 30% महिला प्रतिभागियों ने भी गाली देने की बात मानी। यह इस बात को दर्शाता है कि गाली देना अब केवल मर्दाना व्यवहार नहीं रहा, बल्कि यह एक सामाजिक आदत बनती जा रही है।
क्यों देते हैं लोग गालियां?
- पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में गाली-गलौज कभी-कभी दोस्ती का मजाकिया हिस्सा होती है।
- यूपी और बिहार में राजनीतिक, पारिवारिक और सड़क झगड़ों में गालियां आम हैं।
- राजस्थान में गांवों में गुस्से और मज़ाक में हल्की-फुल्की गालियां बोलना साधारण माना जाता है।
- महाराष्ट्र और गुजरात में शहरी तनाव और यंग जनरेशन का स्लैंग कल्चर कारण है।
- कश्मीर में धार्मिक, पारिवारिक और भावनात्मक शांति संस्कृति के कारण गालियों का इस्तेमाल न्यूनतम है।
2014 में शुरु किया था गाली बंद घर अभियान
डॉक्टर सुनील जागलान कहते हैं कि गाली देना कोई संस्कार नहीं, बल्कि एक बीमारी है। जब बच्चा बड़ा हो रहा होता है और वह फोन पर या आसपास गाली सुनता है तो वह उसके दिमाग में बैठ जाती है। फिर वही उसकी आदत में शुमार हो जाती है। उन्होंने गाली बंद घर अभियान की शुरुआत साल 2014 में की थी। इस अभियान के तहत पूरे देश की 60 हजार से ज्यादा जगहों पर गाली बंद घर के चार्ट भी लगाए जा चुके हैं। आज उनका ये अभियान विश्व स्तर पर चर्चित हो गया है।