Bhiwani News: गुरनाम सिंह चंढूनी ने अंत में सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि देशहित में निर्णय नहीं लिए गए, तो किसानों के साथ-साथ देशभर के नागरिक सडक़ पर उतरने को मजबूर होंगे।
Gurnam Singh Charuni on Free Trade Agreement: देश में प्रस्तावित नए टैरिफ और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) को लेकर किसानों में चिंता बढ़ती जा रही है। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चंढूनी ने इसे लेकर सरकार को चेताया है और सभी वर्गों को इस मुद्दे पर एकजुट होने का आह्वान किया है।
बता दें कि नई कृषि नीति, मंडी कानून में संभावित बदलाव, खेतों से गुजरने वाली हाईटेंशन लाइनें और तेल पाइपलाइन सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर भिवानी की नई अनाज मंडी में भिवानी, दादरी व महेंद्रगढ़ जिलों के किसानों की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक को संबोधित करने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चंढूनी बतौर मुख्य पहुंचे तथा अध्यक्षता भाकियु चंढूनी के जिला अध्यक्ष राकेश आर्य ने की। बैठक के दौरान सरकार तक किसानों की चिंताओं को मजबूत तरीके से पहुंचाने और उनके समाधान के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करने पर चर्चा हुई।
अंतरराष्ट्र्रीय व्यापार समझौते में शामिल होने से पहले सरकार ले देश के सभी वर्गों की राय
भाकियु राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चंढूनी ने कहा कि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट केवल किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक के लिए नुकसानदायक होगा। उन्होंने बताया कि अगर भारत सरकार ने जल्दबाजी में कोई नया टैरिफ या व्यापार समझौता किया तो इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था, घरेलू उत्पादकों और आम जनता पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि एफटीए के जरिए विदेशी कंपनियों को भारतीय बाजार में मनमर्जी की छूट मिलेगी, जिससे देश के किसान, छोटे व्यापारी, घरेलू उद्योग और मजदूर वर्ग सीधे प्रभावित होंगे। चंढूनी ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह किसी भी प्रकार के अंतरराष्ट्र्रीय व्यापार समझौते में शामिल होने से पहले देश के सभी वर्गों की राय ले और पारदर्शिता बनाए रखे।
इस मौके पर चंढूनी ने यह भी कहा कि किसानों के मुद्दे अब केवल खेती तक सीमित नहीं रहे, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और व्यापारिक नीतियों से भी गहराई से जुड़े हैं। इसलिए भाकियु अब हर वर्ग को जोडक़र एक व्यापक जन आंदोलन खड़ा करने की तैयारी कर रही है। गुरनाम सिंह चंढूनी ने अंत में सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि देशहित में निर्णय नहीं लिए गए, तो किसानों के साथ-साथ देशभर के नागरिक सडक़ पर उतरने को मजबूर होंगे।