Haryana: हरियाणा भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बरौली और गायक रॉकी मित्तल के खिलाफ कथित बलात्कार के मामले को फिर से खोलने के मामले में सोलन सत्र न्यायालय ने आज भी फैसला सुरक्षित रख लिया। इस मामले की सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है। अदालत अब इस मामले में कल (15 जुलाई) फैसला सुना सकती है। इसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी कि बरौली और मित्तल के खिलाफ मामला चलेगा या उन्हें क्लीन चिट मिल जाएगी।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. अरविंद मल्होत्रा की अदालत ने पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीड़िता पक्ष ने अदालत में दलील दी कि निचली अदालत ने उनका पक्ष सुने बिना ही पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली है।
दरअसल, बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला ने सोलन सत्र न्यायालय में मामले को फिर से खोलने के लिए पुनरीक्षण याचिका दायर की है। क्योंकि कसौली कोर्ट इस मामले में पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी दे चुका है।
कसौली पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दी
कसौली पुलिस को इस मामले में मोहन लाल बड़ौली और रॉकी मित्तल के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। दिल्ली निवासी एक महिला ने दोनों पर बलात्कार का आरोप लगाया था। इसके बाद पुलिस ने कसौली कोर्ट में केस बंद करने की अर्जी दी, जिसे कोर्ट ने 12 मार्च को स्वीकार कर लिया।
इससे पहले, कसौली कोर्ट ने बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला को अलग-अलग पतों पर दो बार समन भेजा था, ताकि महिला का पक्ष जाना जा सके। लेकिन महिला को दोनों ही पतों पर समन नहीं मिला। इसके बाद कोर्ट ने केस बंद कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
13 दिसंबर को दर्ज हुई एफआईआर, 14 जनवरी को कॉपी आई
पीड़ित महिला ने 13 दिसंबर, 2024 को सोलन ज़िले के कसौली थाने में बरोली और रॉकी मित्तल के खिलाफ सामूहिक बलात्कार (आईपीसी की धारा 376डी) के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। इसकी कॉपी 14 जनवरी, 2025 को सामने आई। पीड़िता के मुताबिक, 23 जुलाई, 2024 को उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ।
दोस्त और बॉस के साथ कसौली घूमने गई थी: पीड़िता
शिकायत में पीड़िता ने कहा, ‘मैं अपने दोस्त और बॉस अमित बिंदल के साथ कसौली घूमने गई थी। इस दौरान बरोली और रॉकी ने मुझे होटल में जबरन शराब पिलाई और हिमाचल पर्यटन निगम के होटल रोज़ कॉमन में मेरे दोस्त के सामने मेरे साथ सामूहिक बलात्कार किया। इसके बाद जान से मारने की धमकी दी। फिर मुझे पंचकूला बुलाया और झूठे मामले में फंसाने की भी कोशिश की। ये आरोप पीड़िता ने लगाए हैं।
पुलिस सबूत नहीं जुटा पाई
कसौली पुलिस ने इस मामले की दो महीने से ज़्यादा समय तक जाँच की। लेकिन जाँच में कोई सबूत नहीं मिला। पीड़िता ने अपना मेडिकल कराने से भी इनकार कर दिया था। एफआईआर में कई महीनों की देरी के कारण पुलिस इस मामले में सीसीटीवी, शराब के गिलास, चादरें जैसे सबूत नहीं जुटा पाई।
जिस होटल में महिला ने सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया था, उसके कर्मचारी इस मामले में ज़्यादा कुछ नहीं बता पाए। इस वजह से पुलिस ने अदालत में क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर दी। बरौली और मित्तल को निचली अदालत से एक बार फिर क्लीन चिट मिल गई है।