America Immigration Policy: जहां एक और अमेरिका भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाकर भारत के संयम की परीक्षा लेने की कोशिश कर रहा है वहीं अब अमेरिका का वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने H-1B वीजा, ग्रीन कार्ड सिस्टम में बड़े बदलाव की बात कही है।
US H-1B Visa: भारतीय वर्कर्स का ‘अमेरिकन ड्रीम’ अधूर रह सकता है, क्योंकि उनके उड़ान को पंख देने वाला H-1B वीजा खत्म हो सकता है। भारतीय वर्कर्स वर्षों से अमेरिका में H-1B वीजा के जरिए काम करने जाते रहे हैं। टेक से लेकर हेल्थकेयर इंडस्ट्री तक में भारतीयों के दबदबे की वजह H-1B वीजा रहा है, जो अब अमेरिकी नेताओं के निशाने पर है।
अमेरिका के कॉमर्स मंत्री हावर्ड लुटनिक ने H-1B वीजा प्रोग्राम को स्कैम बताया है। फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस ने भी यही बात दोहराई है। अमेरिका का वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने H-1B वीजा, ग्रीन कार्ड सिस्टम में बड़े बदलाव की बात कही है। उन्होंने H-1B वीज़ा कार्यक्रम को एक “घोटाला” बताया है जो अमेरिकी कर्मचारियों को नजरअंदाज करता है। उन्होंने कहा कि H-1B वीज़ा कार्यक्रम से भारतीय पेशेवरों को ज्यादा लाभ है, जो H-1B धारकों में सबसे ज़्यादा हैं।
H1B वीजा प्रोग्राम को बताया घोटाला
गवर्नर रॉन डेसेंटिस ने H1B वीजा प्रोग्राम की आलोचना की है। यहां तक की उन्होंने इसे घोटाला तक कह दिया। उनका तर्क है कि यह वीजा कंपनियों को अमेरिकी कर्मचारियों के बदले विदेशी वर्कर्स को रखने की अनुमति देता है। एक इंटरव्यू में डेसेंटिस ने कहा कि कंपनियां अक्सर H1B वीजा धारकों के साथ अमेरिकियों को भी ट्रेनिंग देती है ताकि अमेरिकी कर्मचारियों को निकालकर विदेशियों को काम पर रखा जाए। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिकी कर्मचारियों को नुकसान पहुंचता है।
गोल्ड कार्ड लाने वाली है ट्रंप सरकार
इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन गोल्ड कार्ड नाम से एक नया प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी कर रहा है। यह योजना मेधावी और ज्यादा वेतन पाने वाले कर्मचारियों को पहले वरीयता देगी। इसका मकसद अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने की प्रक्रिया को कड़ा और ज्यादा प्रभावी बनाना है। हालांकि, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा है कि ग्रीन कार्ड का मतलब यह नहीं होगा कि कोई व्यक्ति अमेरिका में हमेशा रह सकेगा। इससे ग्रीन कार्ड धारकों के भविष्य को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
भारतीय कर्मचारी और छात्र, जो ज्यादातर H-1B वीजा पर निर्भर हैं, इस बदलाव से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। आंकड़ों के मुताबिक, हर साल मिलने वाले H-1B वीजा का करीब 70% हिस्सा भारतीयों को ही मिलता है। नए नियमों के मुताबिक, वीजा आवेदन में बायोमेट्रिक जानकारी और आवास का पता जैसे व्यक्तिगत डेटा देना जरूरी होगा। इसके साथ ही कड़ी जांच और ज्यादा कागजी कार्रवाई से वीजा प्रक्रिया और भी मुश्किल हो जाएगी।