Avalanche: लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन की वजह से भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए हैं। उसमे से दो अग्निवीर हैं। एवलांच ने एक पोस्ट को चपेट में ले लिया।
Avalanche hits Siachen Base Camp: लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में हुए भीषण हिमस्खलन में तीन सैन्यकर्मियों की मौत हो गई। बचाव अभियान जारी है। अन्य को निकालने के लिए क्षेत्र में बचाव अभियान जारी है। सियाचिन ग्लेशियर में एक बड़ा हिमस्खलन आया, जिसमें भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए। यह दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है, जहां सैनिक -60 डिग्री की ठंड, तेज हवाओं और बर्फीले खतरों का सामना करते हैं।
बचाव कार्य जारी
अभी तक की जानकारी के मुताबिक जवान पेट्रोलिंग कर रहे थे, तभी हिमस्खलन की चपेट में आ गए। ये तीनों जवान महार रेजीमेंट के थे। तीनों गुजरात, उत्तर प्रदेश और झारखंड के रहने वाले थे। पांच जवान हिमस्खलन में फंसे हुए हैं। एक कैप्टन को बचाया गया है।
सेना की बचाव टीमें तुरंत काम पर लग गई हैं, जो लेह और उधमपुर से मदद ले रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि सैनिकों को बचाने के लिए तुरंत बचाव कार्य शुरू किया गया। फंसे हुए सैनिकों के शवों को बर्फ से निकाला गया।
सियाचिन में घातक हिमस्खलनों का इतिहास
इससे पहले 2021 में, सब-सेक्टर हनीफ में एक हिमस्खलन हुआ, जिसमें दो सैनिक मारे गए। इस त्रासदी के बावजूद, छह घंटे के भीषण अभियान के बाद कई अन्य सैनिकों और पोर्टरों को बचा लिया गया। इसी तरह, 2019 में 18000 फीट की ऊंचाई पर एक चौकी के पास गश्त कर रहे चार सैनिकों और दो पोर्टरों की एक भीषण हिमस्खलन में जान चली गई। 3 फरवरी, 2016 को 19600 फीट की ऊंचाई पर एक और विनाशकारी हिमस्खलन में दस सैनिक दब गए। इनमें लांस नायक हनमनथप्पा कोप्पड़ भी शामिल थे, जो शुरुआत में तो बच गए, लेकिन कुछ दिनों बाद उनके कई अंग फेल हो गए।
सियाचिन की खास बात क्या?
दरअसल यह स्थान दुनिया की सबसे ऊंची और सबसे चुनौतीपूर्ण सैन्य तैनाती स्थलों में से एक है। सियाचिन ग्लेशियर अपनी अत्यधिक मौसम की स्थिति और लगातार बर्फ से जुड़ी घटनाओं के लिए जाना जाता है। यहां तापमान हमेशा बहुत कम रहता है। इस वजह से यहां रहना बहुत मुश्किल है। सेना को कई सालों में हिमस्खलन और फ्रॉस्टबाइट के कारण कई नुकसान हुए हैं। फ्रॉस्टबाइट एक ऐसी स्थिति है जिसमें ठंड के कारण शरीर के ऊतक जम जाते हैं।