पाकिस्तान को घेरने की तैयारी, पहले सिंधु समझौता रद्द किया, अब चिनाब नदी पर सावलकोट प्रोजेक्ट को मंजूरी

Sawalkot Project on Chenab River: भारत ने जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर 1,856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना को हरी झंडी दे दी है, जो सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद एक महत्वपूर्ण कदम है। Sawalkot Hydroelectric Project: सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के निलंबन के बाद रणनीतिक महत्व की परियोजनाओं पर तेज़ी से कार्रवाई […]
Khushi
By : Updated On: 11 Oct 2025 12:09:PM
पाकिस्तान को घेरने की तैयारी, पहले सिंधु समझौता रद्द किया, अब चिनाब नदी पर सावलकोट प्रोजेक्ट को मंजूरी

Sawalkot Project on Chenab River: भारत ने जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर 1,856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना को हरी झंडी दे दी है, जो सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद एक महत्वपूर्ण कदम है।

Sawalkot Hydroelectric Project: सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के निलंबन के बाद रणनीतिक महत्व की परियोजनाओं पर तेज़ी से कार्रवाई करते हुए, पर्यावरण मंत्रालय की एक विशेषज्ञ समिति ने जम्मू-कश्मीर के रामबन ज़िले में चिनाब नदी पर सावलकोट जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए पर्यावरणीय मंज़ूरी की सिफ़ारिश की है।

1,856 मेगावाट की यह परियोजना चिनाब नदी पर एक प्रमुख जलविद्युत परियोजना है। चिनाब नदी सिंधु और झेलम के साथ पश्चिमी नदियों में से एक है, जो वर्तमान में पाकिस्तान में बेरोकटोक बहती है, जबकि भारत को जलविद्युत उत्पादन सहित गैर-उपभोग्य उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करने का अधिकार है। केंद्र शासित प्रदेश सरकार की औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद निर्माण कार्य शुरू होगा।

दो चरणों में बनेगी सावलकोट परियोजना, अनुमानित लागत 31,380 करोड़ रुपये

एनएचपीसी द्वारा निर्मित सावलकोट जलविद्युत परियोजना एक नदी-प्रवाह परियोजना है जो केंद्र शासित प्रदेश के रामबन, रियासी और उधमपुर जिलों में चिनाब नदी के पानी का उपयोग करेगी।

इसका निर्माण दो चरणों में (चरण 1 के लिए 6×225 मेगावाट और 1×56 मेगावाट, और चरण 2 के लिए 2×225 मेगावाट) 1,401 हेक्टेयर क्षेत्र में 31,380 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जाएगा। इस परियोजना में 192.5 मीटर ऊँचा कंक्रीट का बाँध, एक अपस्ट्रीम लघु जलमार्ग, एक भूमिगत बिजलीघर और पानी को वापस नदी में ले जाने की एक प्रणाली शामिल होगी।

नदी घाटी और जलविद्युत परियोजनाओं पर पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने 26 सितंबर को अपनी पिछली बैठक में हरित मंज़ूरी देते हुए कुछ “पर्यावरणीय शर्तें” और सुरक्षा उपाय निर्दिष्ट किए हैं।

सावलकोट परियोजना क्या है

भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक परियोजना साल 1960 में हुई संधि के तहत पश्चिमी नदी के पानी के अपने भाग का पूर्ण उपयोग करने के सरकार की कोशिशों का एक विशेष हिस्सा है। इतना ही नहीं परियोजना में 192.5 मीटर ऊंचा गुरुत्व बांध और 1,100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला जलाशय शामिल है। इसके पूरा हो जाने पर यह पश्चिमी नदियों पर स्थित सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना होगी।

MHA ने शीघ्र मंजूर का किया था अनुरोध

गृह मंत्रालय (MHA) ने इस परियोजना को जून में ‘रणनीतिक महत्व’ का बताते हुए पर्यावरण मंत्रालय से शीघ्र मंजूरी देने का अनुरोध किया था। वहीं विद्युत मंत्रालय ने यह भी चेतावनी दी थी कि नए बेसिन-व्यापी अध्ययनों का पहले से शुरू की गई मंजूरी प्रक्रियाओं पर प्रभाव पड़ सकता है।

साथ ही वन सलाहकार समिति (FAC) ने जुलाई में इसको लेकर पहले ही छूट दे दी थी, जिसमें कहा गया था कि संचयी अध्ययनों के लिए दिशानिर्देश 2013 में जारी किए गए थे।

2.22 लाख पेड़ काटे जाएंगे

सावलकोट परियोजना के अंतर्गत 847.17 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग किए जाने के साथ ही इसके लिए 2.22 लाख से अधिक पेडों को काटा जाएगा। इनमें से 1.26 लाख पेड़ अकेले रामबन जिले में ही हैं।परियोजना दो चरणों में बन रही है, जिससे क्रमशः 1,406 मेगावाट और 450 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।

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