Temperature in Turkey: तुर्की की मौसम विभाग ने इस हफ्ते के शुरू में कहा था कि तापमान मौसमी औसत से 12 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा है। तुर्की की स्थानीय मीडिया ने देश के अस्पतालों में गर्मी से बीमार होने वालों की तदाद बढ़ने की रिपोर्ट की है।
Turkey marks Heat Record in Southeast: पर्यावरण परिवर्तन का असर पूरी दुनिया में तेजी दिखाई दे रहा है। कभी अपने सर्द मौसम के लिए जाने-जाने वाला यूरोप गर्मी की चपेट में है और कई जगह जंगलो में आग लगी है। गर्मी की मार तुर्की में भी पड़ी है, जहां तापमान ने नया रिकॉर्ड बनाया है। साथ ही तुर्की, भीषण गर्मी और सूखे का सामना कर रहा है।
तुर्की के पर्यावरण मंत्रालय ने बताया कि मौसम विज्ञानियों ने देश के दक्षिण-पूर्व में 50.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया है, जो एक राष्ट्रव्यापी रिकॉर्ड है। इसी साल हक्कारी से लगभग 200 किलोमीटर दूर सिलोपी में 50.5 डिग्री सेल्सियस का रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया। यह सामान्य से 12 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान था।
तुर्की के काराबुक के जंगल में लगी आग को तेज हवाओं, गर्मी और सूखे मौसम ने इसे खतरनाक बना दिया था। आग की लपटो और धुएं के उठते गुबार से लोग डर गए। जहरीली हवा में लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगी जिसकी वजह से उन्हें अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा।
3 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर राख
हरमांसिक के जंगल में लगी आग से 3 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर राख हो गया है। खेती की जमीन और फसलें भी नष्ट हुईं हैं। स्थानिय लोगों और किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का अनुसार तुर्की का 88 % क्षेत्र खतरे में है। सदी के अंत तक बारिश में 30 % की कमी आने के संकेत है। तापमान भी 5 से 6 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की सम्भावना है। ग्लेशियरों के खत्म होने से करोड़ों लोगों के लिए जल आपूर्ति का एक बड़ा संकट मंडरा रहा है।
तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर
जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया का तापमान बढ़ रहा है, पहाड़ों के हिस्से जो बर्फ से ढके होते थे हर साल तेजी से पिघल रहे हैं। हक्कारी प्रांत में 4,135 मीटर ऊँचा माउंट सिलो के ग्लेशियर, माउंट अरारत के बाद तुर्की में दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है। रिसर्च के अनुसार, पिछले 40 सालों में लगातार पिघल रही बर्फ के कारण पहाड़ों पर जमी बर्फ का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा खो दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बर्फ को सफेद तिरपाल से ढकने जैसे उपाय तुर्की में संभव नहीं हैं। माउंट सिलो को 2020 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से ग्लेशियरों को नुकसान हो रहा है। दुनिया के कई क्षेत्रों के ग्लेशियर जलवायु में हो रहे परिवर्तनों के कारण तेजी से पिघल रहे हैं।