दीपावली की खुशियों के साथ स्वास्थ्य और सुरक्षित रहना भी जरूरी, डॉक्टरों ने दी सावधानी बरतने की सलाह

Diwali Celebration: दीपावली का त्योहार रोशनी और खुशियों का प्रतीक है, लेकिन इसके साथ ही स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए सतर्क रहना भी उतना ही जरूरी है। दीपावली पर पटाखे जलाना पारंपरिक आनंद का हिस्सा जरूर है, मगर लापरवाही गंभीर हादसों का कारण बन सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि पटाखों से निकलने वाला धुआं और रासायनिक तत्व आंखों, त्वचा, कानों और सांस की नलियों पर बुरा असर डालते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि दीपावली के दौरान पटाखों से निकलने वाला धुआं खासतौर पर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन संबंधी रोगियों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को पटाखे जलाने वाले इलाकों से दूर रहना चाहिए और घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना अनिवार्य बनाना चाहिए। धुएं के कारण सांस लेने में दिक्कत, गले में जलन, आंखों में पानी आना और त्वचा पर एलर्जी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
बचे, बड़ों की निगरानी में पटाखे चलाये
इसके साथ ही छोटे बच्चों और बुजुर्गों को पटाखों के पास नहीं जाने देना चाहिए। बच्चों को बड़ों की देखरेख में ही पटाखे जलाने चाहिए। आंखों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा चश्मा (सेफ्टी ग्लासेज़) और कानों की सुरक्षा के लिए ईयरप्लग या रुई का इस्तेमाल करना लाभदायक रहेगा। कई बार तेज आवाज वाले पटाखों से कान के पर्दे फटने तक की स्थिति बन जाती है।
पटाखे चलते समय पहने दस्ताने
त्वचा विशेषज्ञों का कहना है कि पटाखे जलाते समय हाथों में दस्ताने पहनना चाहिए, ताकि बारूद या गर्मी से त्वचा पर जलन या छाले न पड़ें। कपड़ों का चयन भी सावधानीपूर्वक करना चाहिए- नायलॉन या सिंथेटिक कपड़ों की जगह कॉटन (सूती) कपड़े पहनें, क्योंकि ये आग पकड़ने की संभावना को कम करते हैं।
इसके अलावा विशेषज्ञों ने लोगों से ग्रीन पटाखे (पर्यावरण अनुकूल) जलाने की अपील की है। इन पटाखों से प्रदूषण का स्तर कम होता है और स्वास्थ्य पर भी असर नहीं पड़ता। साथ ही, पटाखे खुली जगह पर, हवा की दिशा ध्यान में रखकर और पानी की बाल्टी पास रखकर ही जलाने चाहिए।