हरियाणा में आयुष्मान भारत-आयुष्मान हरियाणा योजना को लेकर संकट गहराता जा रहा है। राज्य के लगभग 655 निजी अस्पतालों ने पिछले 17 दिनों से इस योजना के तहत इलाज बंद कर दिया है। अस्पतालों का आरोप है कि सरकार द्वारा भुगतान में लगातार देरी और अनावश्यक कटौती के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
500 करोड़ से ज़्यादा बकाया, मार्च के बाद कोई भुगतान नहीं
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) हिसार की अध्यक्ष डॉ. रेणु छाबड़ा भाटिया के अनुसार,
“कई अस्पतालों को मार्च 2025 से कोई भुगतान नहीं मिला है। वर्तमान में, निजी अस्पतालों पर लगभग ₹400 से ₹500 करोड़ की राशि बकाया है।”
तकनीकी खामियों और दरों में विसंगति ने बढ़ाई परेशानी
डॉ. छाबड़ा ने यह भी कहा कि:
- बिना किसी स्पष्ट कारण के, दावा की गई राशि में मनमानी कटौती की जाती है।पोर्टल पर समय पर डेटा एंट्री के बावजूद, तकनीकी खामियों के कारण दावे खारिज हो जाते हैं।
- कई स्वास्थ्य सेवाओं की दरें इतनी कम हैं कि वे अस्पतालों का खर्च भी नहीं उठा पातीं।
- बार-बार दस्तावेज़ों की माँग और दावों की लंबी प्रक्रिया के कारण प्रशासनिक बोझ बढ़ रहा है।
पानीपत में डॉक्टरों की राज्य स्तरीय बैठक कल
इस मामले को लेकर 24 अगस्त को पानीपत में डॉक्टरों की राज्य स्तरीय बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे के संभावित आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।
डॉ. छाबड़ा ने आरोप लगाया कि सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए अस्पतालों को नोटिस भेजकर डॉक्टरों को डराने की कोशिश कर रही है।
हिसार के 70 अस्पताल इस योजना से जुड़े थे
हिसार ज़िले के लगभग 70 निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का इलाज कर रहे थे, लेकिन अब उन्होंने भी सेवाएं बंद कर दी हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यह फैसला मरीजों के खिलाफ नहीं, बल्कि व्यवस्था की गलत नीतियों के खिलाफ है।