Shardiya Navratri 2025; शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन आज, कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा?

Shardiya Navratri 2025 Day 2: नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। उन्हें तपस्या की देवी माना जाता है। भक्त शक्ति, ज्ञान और विवेक प्राप्त करने के लिए उनकी उपासना करते हैं। नवरात्रि का यह पर्व 22 सितंबर 2025 से शुरू हुआ है।
Navratri 2025 Day 2 Maa Brahmacharini Puja: शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की आराधना के लिए समर्पित होता है। ब्रह्म का अर्थ तपस्या है और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली। इस प्रकार मां ब्रह्मचारिणी तप की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। उनका स्वरूप ज्योतिर्मय और तेजस्वी है। दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल धारण किए वे तपस्या और संयम की प्रतीक हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की कृपा का महत्व
जो भक्त मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करते हैं, उन्हें साधना और तप का अद्भुत फल प्राप्त होता है। इनकी आराधना से त्याग, वैराग्य, संयम, सदाचार जैसे गुण विकसित होते हैं। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी साधक अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होता। मां की कृपा से जीवन में विजय और सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही, इच्छाओं और लालसाओं से मुक्ति के लिए भी इस देवी का ध्यान अत्यंत फलदायी माना गया है।
पढ़िए मां ब्रह्मचारिणी की कथा
मां ब्रह्मचारिणी को लाल रंग और गुड़हल के फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, वे राजा हिमालय और रानी मेना की पुत्री पार्वती के रूप में जन्मी थीं। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की।
हजार वर्ष तक केवल फल और फूल खाए, फिर हजार वर्षों तक केवल जड़ी-बूटियों पर जीवित रहीं, और फिर हजार वर्षों तक टूटे हुए बेलपत्र पर। इसके बाद उन्होंने अन्न और जल का त्याग कर दिया। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर देवताओं और सप्तऋषियों ने उन्हें आशीर्वाद दिया और “अपर्णा” नाम दिया।
पढ़िए मां ब्रह्मचारिणी की कथा
मां ब्रह्मचारिणी को लाल रंग और गुड़हल के फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, वे राजा हिमालय और रानी मेना की पुत्री पार्वती के रूप में जन्मी थीं। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की।
हजार वर्ष तक केवल फल और फूल खाए, फिर हजार वर्षों तक केवल जड़ी-बूटियों पर जीवित रहीं, और फिर हजार वर्षों तक टूटे हुए बेलपत्र पर। इसके बाद उन्होंने अन्न और जल का त्याग कर दिया। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर देवताओं और सप्तऋषियों ने उन्हें आशीर्वाद दिया और “अपर्णा” नाम दिया।
मां ब्रह्मचारिणी का भोग
भोग के रूप में मां को मीठे पकवान अर्पित करना विशेष फलदायी माना गया है। खासतौर पर दूध, मिश्री से बनी मिठाइयां या पंचामृत का भोग लगाने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी का शुभ रंग
नवरात्रि के दूसरे दिन का शुभ रंग गुलाबी है। गुलाबी रंग प्रेम, सादगी और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन गुलाबी रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है।
जानिए मां ब्रह्मचारिणी मंत्र
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
क्या है पूजा विधि?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएँ।
- मां को श्रृंगार सामग्री, सफेद मोगरा और गुड़हल का फूल, तथा कुंकुम अर्पित करें।
- सफेद मिठाई चढ़ाएं।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां के मंत्रों का जाप करें।
- शाम को भी आरती और पूजन करें।
- पूजा के बाद व्रत खोलें।