Vice President Election: उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले बीजू जनता दल (बीजेडी) ने घोषणा की है कि वह मतदान में भाग नहीं लेगी। उपराष्ट्रपति पद के लिए कल मंगलवार 9 सितंबर को चुनाव है। एनडीए और इंडिया गठबंधन अपनी जीत के दावे कर रहे हैं।
Vice Presidential Election: उपराष्ट्रपति पद के लिए राजनैतिक पार्टियों में खींचतान मची हुई है। दोनों ही पक्ष पार्टियों को अपने-अपने पक्ष में करने की होड़ में लगी हुई है। ऐसे में नवीन पटनायक की बीजेडी के बाद केसीआर की बीआरएस ने भी मंगलवार को होने वाले मतदान से दूर रहने का फैसला किया है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि पार्टी इस मतदान से अपने आप को दूर रखेगी।
मंगलवार को ही गिनती के बाद विजेता के नाम का ऐलान हो जाएगा। जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से 21 जुलाई को अचानक इस्तीफे से यह चुनाव कराया जा रहा है। उपराष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है, कौन वोट डालता है, क्या दूसरे पक्ष के उम्मीदवार को वोट डालने पर दल-बदल विरोधी कानून में कार्रवाई होती है? इसी तरह के सभी सवालों के जवाब (FAQ) आपको यहां मिलेंगे।
राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा ने कहा कि पार्टी एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों से समान दूरी बनाए हुए है जिसके कारण नवीन पटनायक ने यह निर्णय लिया। बीजेडी का यह फैसला एनडीए के लिए बड़ा झटका नहीं है लेकिन विपक्षी खेमे को इससे राहत मिलेगी।
क्या कहता है संख्या बल का गणित?
बीआरएस के वर्तमान में चार राज्य सभा सदस्य हैं, जबकि लोकसभा में उनका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। बीआरएस का उपराष्ट्रपति पद के चुनाव से दूर होना विपक्षी एकता के लिए एक झटका माना जा रहा है। क्योंकि पिछले चुनाव में बीआरएस ने अपने 16 सांसदों के साथ विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को वोट दिया था।
वहीं अगर नवीन पटनायक की बीजेडी की बात करें तो वर्तमान में राज्यसभा में उनके 7 सदस्य हैं, जबकि लोकसभा में उनका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। बीजेडी का चुनाव से दूरी बनाना एनडीए के लिए झटका तो नहीं लेकिन एक संकेत जरूर हो सकता है। क्योंकि जगदीप धनखड़ और उससे पहले वैंकेया नायडू के उपराष्ट्रपति चुने जाने के दौरान बीजेडी एनडीए में न होते हुए भी इनके समर्थन में आई थी। ऐसे में इस बार उनका तटस्थ रहना बीजेपी को खटक सकता है।
ज्ञात हो कि उपराष्ट्रपति पद का चुनाव दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और उच्च सदन के मनोनीत सदस्यों द्वारा की गई वोटिंग के जरिए होता है। अगर कोई पार्टी वोट नहीं डालती है तो उनकी संख्या वैध वोटों में नहीं जुड़ती है। ऐसे में यह वोट किसी भी उम्मीदवार के हार-जीत के अंतर को कम करने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन सीधा-हार या जीत में भूमिका नहीं निभाते।
क्यों हैं क्रॉस वोटिंग का डर
एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं इंडिया ब्लॉक ने पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को उतारा है। उपराष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान होता है. इसलिए क्रॉस वोटिंग का डर होता है।
कितने दल और सांसदों के रुख तय नहीं
बीआरएस के राज्य सभा में 4 और बीजेडी के 7 सांसद हैं। साथ ही लोकसभा के 7 निर्दलीय हैं। अकाली दल, जेडपीएम और वीओटीटीपी के एक-एक सांसद हैं. ये भी किधर वोट देंगे यह स्पष्ट नहीं है।
जीत के लिए कितने वोट चाहिए
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद वोट डालते हैं। राज्यसभा में 239 और लोक सभा में 542 सांसद हैं। यानी उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए 391 वोट चाहिए।